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मैथिली साहित्यक गौरवमयी इतिहास के पन्ना के बढावैत हम अपन किछु प्रसिद्ध रचना लऽ कऽ प्रस्तुत छी, जेकरा हम अखन धरि विद्यापति समारोह के माध्यम से संबोधित करय छलहुँ। पुनः आयि-काल्हि के इंटरनेट युग के साहित्य प्रेमी ( विशेषतः मैथिल) के मनोरंजनक लेल अपन कविता लऽ के प्रस्तुत छी। आशा अछि जे अहाँ सभ के ई हमर प्रयास नीक लागत।

Tuesday, March 27, 2007

ई सभ एहिना होयत रहै छै

ई सभ एहिना होयत रहै छै
हावा में उधियाल बात के
हाथे हाथे लोकैत रहै छै...
ई सभ एहिना होयत रहै छै।

एहन बात पर ध्यान देबैक तऽ
औना कऽ मरि जायब घरे में,
अपनहि सँ जँ चास करब तऽ
टाका फँसि जायत हरे में,
खेत भले हो किनको "लाला"
हरबाहा हर जोतैत रहै छै...
ई सभ एहिना होयत रहै छै।

कोन पात्रक एछि लाला
से तऽ सभ कियो चिन्हि रहल छै,
मुँह दुब्बर बनि कऽ जे रहय यै
ओकरे सभ कियो बिन्हि रहल छै,
हाथी चलै अपन चालि में
कुक्कुर सभ भुकैत रहै छै...
ई सभ एहिना होयत रहै छै।

सन टिटही सन छौड़ा लुखबा
तेकर टीरबी अलगे भारी,
बात करत ओ थ्री नट्टा के
पीने रहत जे कनिञों ताड़ी,
बन बिलाड़ि के पाछु में भाय
मूसरी ताल ठोकति रहै छै...
ई सभ एहिना होयत रहै छै।

देखि समाजक निर्मम हालत
मोनुवा हमर उठय कानि,
जे समाज में अबला-विधवा
तेकरा सभ कहै छै डानि,
दोसरक घर में आगि फुकि कऽ
अपन हाथ सेकैति रहै छै...
ई सभ एहिना होयत रहै छै।

-इंद्र कान्त लाल (जून २००२)

1 comment:

NIRAJJHA said...

hiiiiiiiiiiiiiii bad nik lagal .ek ta baat ke lel humara maaf karab hum aaha ke ek ta kavita ka hum aapan blog ma copy ka ka paste k dailo.Lakin hum oohi tham aaha ker naam sanghi vidyapati. com ka link da dana chi.