सासु हमर अलबत्त,
ससुर चौपट बुझाय यै।
खोलैथ रेडियो जोर-जोर सँ,
करथि उठा- पटक बुझाय यै
सासु हमर अलबत्त,
ससुर चौपट बुझाय यै।
मिसेज चलाबथि गाड़ी अपने,
मिस्टरजी पाछु बैसल छथि,
मिसेज लगाबथि ब्रेक कसिकऽ,
मिस्टर डाँर ससरि पकड़ै छथि,
बावनक बयस में दुनु प्राणी,
लगबथि सफाचट बुझाय यै...
सासु हमर अलबत्त,
ससुर चौपट बुझाय यै।
धन्यवाद केर पात्र दुनू छथि,
दुनू क्लब में डाँस करै छथि,
बच्चा सभ पर कड़ा पहरा धन्हि,
अपने सब रोमांस करै छथि,
बुझथि अपना के फोरवार्ड छी,
हमरा जाहिल जट्ठ बुझाय यै...
सासु हमर अलबत्त,
ससुर चौपट बुझाय यै।
जखन हिनके सभक ई हाल छन्हि,
की हाल हेतै कहू कलजुगिया के,
जँ अपनहि सभ्यता बिसरि जेबै तँ,
की हाल हेतै कहू दरभंगिया के,
नबका-नबका कट निकलि कऽ,
जमाना गिरह कट्ट बुझाय यै...
सासु हमर अलबत्त,
ससुर चौपट बुझाय यै।
हास परिहास में अहाँक स्वागत अछि
मैथिली साहित्यक गौरवमयी इतिहास के पन्ना के बढावैत हम अपन किछु प्रसिद्ध रचना लऽ कऽ प्रस्तुत छी, जेकरा हम अखन धरि विद्यापति समारोह के माध्यम से संबोधित करय छलहुँ। पुनः आयि-काल्हि के इंटरनेट युग के साहित्य प्रेमी ( विशेषतः मैथिल) के मनोरंजनक लेल अपन कविता लऽ के प्रस्तुत छी। आशा अछि जे अहाँ सभ के ई हमर प्रयास नीक लागत।
Friday, December 29, 2006
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2 comments:
bahut neek. ehen maithil kavita kata bhetat. dhanyawaad aur badhai. laagal rahoo......
bahut neek. ehen maithil kavita kata bhetat. dhanyawaad aur badhai. laagal rahoo......
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